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Showing posts from July, 2020

षट विकार | जीवन के बाधक । रोमांच । shat vikar | philosophy | the romanch |

षट विकार प्रगति मे बाधा मनुष्य का जन्म प्रगति के लिए हुआ है। यह प्रगति आध्यात्मिक, आत्मिक, मानवीय, व्यवहारिक किसी भी प्रकार की हो सकती है। प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है प्रगति करना। इस प्रगति के लिए संघर्ष करने पड़ते हैं, उनसे उबरना पड़ता है और आगे बढ़ना होता है किंतु कभी-कभी हमारी जिजीविषा या हमारी असफलता हमे एक ऐसे बंधन मे जकड़ लेती है कि हम उससे निकल नहीं पाते और हमारी प्रगति बाधित हो जाती है। महापुरुषों ने ऐसे छः दोष बताए हैं जो निरंंतर हमें रोकते हैं। षट विकार कर्म करना मनुष्य का प्रथम कर्तव्य है। चलते रहना उसकी स्वभाविक वृत्ति है किंतु किसी एक हीनता के कारण उसका रुकना उचित नहीं है। इन बाधकों को उखाड़ फेकने के लिए पहले इनको जान लेना आवश्यक है। ये कुछ इस प्रकार हैं- 1. काम- मनुष्य जीवन मे इच्छाओं का होना आवश्यक है किंतु उनका नियंत्रित होना भी आवश्यक है। प्रत्येक धर्म-संस्कृति मे कामी पुरुष को नीच बताया गया है क्योंकि कामी पुरुष ना केवल शारीरिक रूप से दुर्बल होता है   बल्कि उसकी नैतिकता का भी पतन हो जाता है। उसे अपनी इच्छाओं के अतिरिक्त किसी उचित-अनुचित का बोध नहीं रहता है। गोस्वामी तुल

रामचंद्र सीरीज (अमीश त्रिपाठी)

रामचंद्र सीरीज (अमीश त्रिपाठी) इसके पहले के एक आर्टिकल मे आपने अमीश की शिवरचना त्रय  (Shiva Trilogy)  के बारे मे पढ़ा। अब हम  Shiva Trilogy  के बाद रामचंद्र सीरीज (Ramchandra Series) के बारे मे जानेंगे। नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है हर्ष वर्धन सिंह और आप आए हैं रोमांच की दुनिया मे। Shiva Trilogy की अभूतपूर्व सफलता के बाद अमीश ने भगवान राम की कहानी पर अपनी काल्पनिक कहानी लिखने का निश्चय किया। इसके लिए उन्होने कहानी की एक नयी विधा का चयन किया जिसका नाम Hyperlink या Multilinear narrative है। इस विधा मे कहानी को मुख्य किरदारों के दृष्टिकोण से दिखाया जाता है। रामचंद्र सीरीज मे उन्होने 5 किताबें लिखने का निश्चय किया जिसकी 3 किताबें अब तक आ चुकी हैं और चौथी किताब वे लिख रहे हैं। आज इस आर्टिकल मे हम उन तीन किताबों के बारे मे जानेंगे। 1. राम इक्ष्वाकु के वंशज( Ram Scion of Ikshvaku) भगवान राम के दृष्टिकोण से लिखी गई यह पुस्तक राम के जन्म से लेकर माता सीता के अपहरण तक की कथा बताती है। दशरथ का रावण से युद्ध और उसकी पराजय का दोष राम को देकर राम के संघर्ष की कहानी शुरू होती है। उनकी धर्म मे आस्था, सत्

शिवरचना त्रय Shiva Trilogy

अमीश त्रिपाठी की शिवरचना त्रय- आज के समय कोई आध्यात्म का प्रेमी पाठक हो और अमीश को ना जानता हो ऐसा होना मै असम्भव मानूंगा। किंतु फिर भी हो सकता है कि कुछ लोग उनके बारे में ना जानते हों। आज मै आप को अमीश त्रिपाठी व उनकी पहली सिरीज शिवरचना त्रय के बारे मे बताउंगा।  नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है हर्ष वर्धन सिंह और आप आए हैं रोमांच की दुनिया मे। अमीश त्रिपाठी Add caption उत्तर प्रदेश के बनारस शहर से ताल्लुक रखने वाले अमीश 1974 मे मुम्बई में पैदा हुए थे। मुम्बई, उड़ीसा, तमिलनाडु आदि जगहों पर शिक्षा प्राप्त करते हुए I.I.M. करने कोलकाता गए और उसके बाद एक बैंकर के रूप मे नौकरी प्रारम्भ कर दी। अपनी नौकरी मे रहते हुए ही अमीश ने अपनी प्रारम्भिक दो पुस्तकें पूर्ण की। वर्तमान तक उन्होने 8 किताबें पूरी की हैं और रामचंद्र सीरीज की चौथी पुस्तक पर कार्य कर रहे हैं। आइए हम उनकी कुछ पुस्तकों के बारे मे जानते हैं। 1. मेलुहा के मृत्युंजय (The Immortals of Meluha) अमीश की प्रथम पुस्तक मेलुहा के मृत्युंजय भगवान शिव पर आधारित शिवरचना त्रय (Shiva Trilogy) का प्रथम भाग है।  शिव को एक तिब्बत के एक पर्वतीय कबीले का

मनुष्य की अनियंत्रित इच्छाएं व स्थिरता | रोमांच । (philosophical ideas) । theromanch

Philosophy from Romanch. Thoughts of true life, Struggle of harsh life and technique to find victory. मनुष्य की अनियंत्रित इच्छाएं व स्थिरता प्रारम्भ से ही मनुष्य मे एक गुण अन्य जीवों से भिन्न रहा है और वह है संचय का। अन्य सभी जीव वर्तमान के लिए जीते हैं किंतु मनुष्य भविष्य की योजनाओं को बनाकर चलता है। साधारणतयः यह एक लाभकारी गुण है किंतु इसके दुष्परिणाम भी हैं। Philosophy from Romanch. Thoughts of true life, Struggle of harsh life and technique to find victory. नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है हर्ष वर्धन सिंह और आप आए हैं रोमांच  मे। मानवीय स्वभाव मानव का स्वभाव है बेहतर भविष्य के लिए कार्य करना। जीवन के उस हिस्से से जहां उसमें समझने की शक्ति विकसित होती है, वह आने वाले समय के लिए तैयारी प्रारम्भ कर देता है। यही कारण है कि मनुष्य ने अन्य किसी भी जीव की अपेक्षाकृत सर्वाधिक प्रगति की है।  उसकी प्रत्येक घटना के कारण को जानने की अभिलाषा व अधिक प्राप्त करने की आकांक्षा ने उसके लिए प्रगति के अनेक मार्ग खोले जहां उसने अनेकों सुख के साधनों का लाभ उठाया तथा समग्र विश्व को आनंद के प्रखर बिंदु तक ले

पथिक hindi kahani (love story) Romantic Love Story, Sad Story | रोमांच । The Romanch |

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है हर्ष वर्धन सिंह और आप आए हैं रोमांच  मे। पथिक Pathik is a short story, a romantic love story from Romanch. Hindi love story, Romance, Love, Pain, Mistakes and tear in short love story, in hindi kahani. (प्रेम कहानी) image:  https://depositphotos.com "तारा!" "हूं" "क्या तुम मुझसे प्रेम करती हो?" "अरे मेरे प्यारे पंछी" तारा ने अपने अंकक्षेत्र मे विश्राम करते प्रेम के गेहुएं कपोलों पर चपत लगाते हुए कहा,"तारा को प्रेम से अत्यधिक प्रेम है।" प्रेम उस बाग के ईशान छोर पर अपनी प्रेयसी की गोद मे अपने नयनपटलों को बंद किए मधुरस्वप्न मे आनंद विचरण कर रहा था। एक माह बीत गया था। तारा से सम्पर्क करने के सारे प्रयत्नों के बाद भी प्रेम असफल रहा था। फिर एक चिट्ठी आई। प्रेम ने उसे खोलकर पढ़ना प्रारम्भ किया। "प्रिय प्रेम! मैने सम्पूर्ण जीवन तुम्हारे साथ बिताने का वचन दिया था किंतु कई बार वचनों के भी अनेक समीकरण बनते हैं। मेरे पिता का दिया गया एक वचन आज मुझे अपने वचन की बलि देने को विवश कर रहा है। तुम्हारे बिना मेरा जीना तो हो

हमारी तृष्णा

आज का विचार- अनंत भोगों का उपभोग करके भी अज्ञानी मन की तृष्णा वैसे ही असंतुष्ट होती है जैसे मरुस्थल की मरुभूमि जल की बूंदो से। इसीलिए तो राजा ययाति ने कहा था- भोगा न भुक्ता वयमेव भुक्ताः तपो न तप्तं वयमेव तप्ताः । कालो न यातो वयमेव याताः तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णाः ॥ हमने भोग नहीं भुगते , बल्कि भोगों ने हमें भुगता है ; हमने तप नहीं किया , बल्कि हम स्वयं ही तप्त हो गये हैं ; काल समाप्त नहीं हुआ , बल्कि  हम स्वयं समाप्त हुए हैं ; तृष्णा जीर्ण नहीं हुई , पर हम ही जीर्ण हुए हैं।

विवेक व मानसिक स्थिरता | रोमांच । vivek v mansik sthirata | theromanch

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है हर्ष वर्धन सिंह और आप आए हैं रोमांच  मे।   विवेक व मानसिक स्थिरता महापुरुष शक्तियों के उपयोग मे सदैव बुद्धि व विवेक का सहारा लिया करते हैं। कब क्या कहना है, कितना कहना है और किससे कहना है इसका भी निश्चय वे शीघ्र कर लिया करते हैं यही कारण है कि उनके अंदर संंयम व व्रत की अथाह पूंजी जमा हो जाती है और सामान्य जन मानस उस शक्ति से वंचित रह जाते हैं। प्रायः हमारे जीवन मे ऐसा होता है कि हम अपनी व्यक्तिगत समस्याओं से परेशान होकर विचारों मे मग्न होते हैं कि कोई हमारा अपना आता है और उसकी एक छोटी सी बात भी मन को तीर सी लगती है और हम अपना धीरज खोकर अनावश्यक मतभेद बना देते हैं। हम अविवेकी होकर शब्दों का ऐसा अनियंत्रित उपयोग करते हैं कि सामने वाले के ह्रदय को एक तीर सा लगता है और फिर एक सन्नाटा हो जाता है। हम अपने क्रोध के आवेग मे यह निर्णित नही कर पाते कि क्या सही है और क्या गलत और इसके कई कारण हो सकते हैं किंतु उन सभी का सार एक ही है और वो है विवेक। व्यक्ति का शरीर कैसा भी हो; उसके पास शारीरिक शक्ति अधिक हो या कम किंतु उसमे मानसिक स्थिरता होनी चाहिए। मानसिक स्थिरता एक ऐस

श्री कृष्ण का संदेश philosophical thought

श्रीकृष्ण का संदेश है-आत्मा की स्वतन्त्रता का , साम्य का , कर्मयोग का और बुद्धिवाद का।  Shri Krishna's message to all                                             image source:google श्रीकृष्ण अपने जीवन के प्रत्येक चरण में, प्रत्येक कार्य में उन्होनें जीवन जीने की कला सिखाई। स्वर्ग के लालच को मिथ्या बताकर जीवन की मुक्ति की राह से संसार को परिचित कराया।  निःस्वार्थ भाव से कर्म की महत्ता बतायी और उदाहरणों से भी उसे सिद्ध किया। वे जन्म से राजा नहीं थे,  ना  ही राजकुमार थे किंतु अपनी क्षमताओं के बल पर सम्पूर्ण भारत के सम्राट हो सकते थे किंतु हुए नही। सौन्दर्य , बल , विद्या , वैभव , महत्ता , त्याग कोई भी ऐसे पदार्थ नहीं थे , जो अप्राप्य रहे हों। वे पूर्ण काम होने पर भी समाज के एक तटस्थ उपकारी रहे। जंगल के कोने में बैठकर उन्होंने धर्म का उपदेश काषाय ओढ़कर नहीं दिया ; वे जीवन-युद्ध के सारथी थे। उसकी उपासना-प्रणाली थी-किसी भी प्रकार चिंता का अभाव होकर अन्तःकरण का निर्मल हो जाना , विकल्प और संकल्प में शुद्ध-बुद्धि की शरण जानकर कर्तव्य निश्चय करना। कर्म-कुशलता उसका योग है।

सुख कहां गए तुम philosophical thoughts

सुख You are reading "Philosophical thoughts from Romanch Ki Duniya."                                    image source: google आदि के उस हिस्से से जहां से मनुष्य ने अपनी बुद्धि व विवेक का उपयोग करना सीखा है, उसने प्रकृति से संघर्ष किया है। प्रकृति जो सब कुछ देने वाली है, उसे अपने अनुकूल बनाने का प्रयत्न किया है। यदि आप किसी अन्य जीव को देखे जो मानव की तरह ही किसी अन्य योनि मे जन्म लेता है तो आप उसमे और मनुष्य मे एक भेद पायेंगे। मनुष्य से भिन्न प्रत्येक जीव के जीवन मे एक समान क्रिया-कलाप होता है। वह जन्म लेता है, अपने भोजन के लिए सारा जीवन लगा रहता है, प्रजनन क्रिया मे भाग लेता है और फिर एक दिन मर जाता है। हम मनुष्य इससे इतर हैं। हम मनुष्य जन्म लेते हैं और सामान्य सुखी जीवन का आनंद केवल उस समय तक लेते हैं जब तक हम समझने नहीं लगते। एक बार समझने की अवस्था आयी कि लग गए संसार के अन्य क्रियाकलापों मे। एक बालक के सिर पर शिक्षा का बोझ होता है, एक किशोर के सिर पर सफलता के लिए संघर्ष का, एक वयस्क के लिए व्यवसाय का, एक प्रौढ़ के लिए पारिवारिक उत्तरदायित्वों का और एक व्रद्ध के लिए

श्री कृष्ण shlok shri Krishna ishwarh paramh krishanah

ब्रह्म सहिंता के अनुसार   ईश्वरः परमः कृष्णः सच्चिदानंद विग्रहः। अनादिरादिर्गोविंदः सर्वकारणकारणम्॥    श्री कृष्ण परमपुरुष हैं और उनका शरीर सच्चिदानंदमय है। वे आदिभगवान गोविंद हैं और समस्त कारणों के कारण हैं। जय श्री कृष्ण

ईश्वरीय प्रेम की मिशाल है ये कहानी

कभी-कभी ऐसी कहानी आ जाती है सामने की मन करता है कि बस इसे पढ़ते रहें..पढ़ते रहें..पढ़ते रहें। थायस नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है हर्ष वर्धन सिंह और आप आए हैं रोमांच की दुनिया मे। पिछले रविवार जब मै कुछ पढ़ने के लिए ढूंढ़ रहा था तब एक ऐसी किताब मेरे सामने आ गई जिसके नाम से मुझे उसको पढ़ने की जिज्ञासा हुई और फिर पढ़ने लगा। पढ़ते हुए जो मुझे महसूस हुआ उसके बारे मे क्या कहना। पढ़ते हुए मन यह जानने के लिए आतुर तो हो ही रहा था कि 'फिर क्या हुआ' पर भीतर से ये आवाज जोर जोर से चीख रही थी कि ये कहानी कभी खत्म ना हो। एक ऐसी कहानी जो अपने आप को इतना नियंत्रित किए है कि वो इधर उधर जा नही सकती और इतनी शक्तिशाली लेखन कला और पटकथा कि आप को कहीं और जाने नही देगी।  ये कहानी है फ्रांस के लेखक एनाटॅल फ्रांस(Anatole France) की जिसका नाम है थायस।                                                   image source: Wikipedia कहानी का आधार थायस, सन 1890 मे प्रकाशित एक प्रसिद्ध उपन्यास है जिसका दर्जन भर से ज्यादा भाषाओं मे अनुवाद किया गया है। यह उपन्यास चौथी शताब्दी की एक इसाई धर्मगुरू सेंट थाय

तपस्वी hindi kahani (story in hindi), short story | रोमांच । The Romanch |

तपस्वी Tapaswi is a short story from Romanch . Irony on blind belief of people. Hindi Kahani, Hindi short Story, inspired by true story. (कहानी)                                             image source   https://www.pinterest.com.au/pin/194640015122122996/ एक बार की बात है एक सनकी आदमी कुतुब मीनार के पास से गुजरा। मीनार की ऊंचाई और आभा को देखकर उसके मन मे उसके ऊपर चढ़ने को किया। जब वह मीनार की सर्वोत्तम ऊंचाई तक जा रहा था, तभी उसे वहां के सुरक्षाकर्मियों ने रोक दिया। सनकी जिद करने लगा किंतु उसे ऊंचाई पर जाने की स्वतंत्रता ना दी गई। हारकर वह बाहर आ गया किंतु उसके मन मे सनक आ गई थी। वह इधर उधर लगा।  एक दिन उसे एक सूने क्षेत्र मे एक वीरान पड़ा मंदिर मिला। वह मंदिर की छत पत्थर के पांच अत्यधिक ऊंचे स्तम्भों पर बनाई गयी थी किंतु समय के साथ वह जर्जर हो गई थी। इस मंदिर से कुछ दूरी पर कुछ गांव बसे हुए थे किंतु वहां से कोई भी यहां पूजा-पाठ करने नही आता था।  सनकी उस मंदिर के स्तम्भों को देखने लगा तभी उसका ध्यान एक स्तम्भ पर गया जिसके ऊपर की छत टूट गई थी तथा बाकी के मंदिर से अलग हो

पौधे के उगने की शिक्षा

पौधा तो मिट्टी मे ही उगता है चट्टानों मे नही॥ पौधे का आधार है जड़ और जड़ सदैव मिट्टी मे ही रहती है। चाहकर भी उसे चट्टान या पत्थर पर नही उगा सकते। हां किसी गमले मे मिट्टी लेकर उसमें पौधे को लगाकर किसी भी महल-हवेली के फर्श पर रख सकते हैं किंतु उसका आकार एक लघुसीमा मे परिबद्ध होगा। ठीक जीवन भी इसी प्रकार है। मिट्टी संघर्ष है, चट्टान सुख-सुविधाएं हैं और पौधा,         पौधा है स्वयं का गौरव  जिसकी जड़ है सफलता। जो लोग स्वयं संघर्ष करते हैं, सुख-सुविधाओं की चिंता ना करके अपने कर्म के लिये उन्मुख रहते हैं, उनकी सफलता और विशाल होती जाती है और उनका गौरव विशालकाय होता जाता है।  जो माता-पिता अपने बच्चों की सुख-सुविधाओं का अधिक ध्यान रखते हुए उनसे कोई काम नहीं कराना चाहते उनके बच्चे स्वयं के आस्तित्व को कहां ढूंढ पायेंगे। यदि वे थोड़ी सी मिट्टी गमले मे रखकर अर्थात थोड़ी सी मेहनत करवाकर और बाकी स्वयं के नाम और ख्याति से उसे किसी महल मे रख भी देते हैं तब भी उसका उठना हद मे होगा।

स्वतंत्र बुलबुल Hindi Kahani(love story) short story in hindi । रोमांच । The Romanch |

स्वतंत्र बुलबुल Swatantra Bulbul is a short love story from Romanch. Love of father, sad story, love story, short story, hindi kahani . (कहानी)                        image source: google “सोना कहाँ है ?” शुशीला ने पूछा। “बुलबुल को भी स्वतंत्र रहने का अधिकार है।“ खाली पिंजरा लेकर मनोहर जी अंदर आये। वो बुलबुल है बाहर गयी तो निकल लेगी कहीं। पक्षी और बिटिया घर मे ही रहे तो अच्छा है। “अगर उसको हमसे प्यार हो गया होगा तो यहीं आसपास के किसी पेड़ पर रहेगी वो और अगर प्यार ना हुआ तो जहां मन होगा वहां रहेगी। सबकी अपनी अपनी मर्जी है।“ ये लोग आपस मे बात कर ही रहे थे कि उनकी बिटिया अंदर आ गयी। “पापा मुझे आपसे कुछ कहना है ?” “हां बोलो बेटा।“ “पापा! आई एम फॉलेन इन लव। ” स्वीटी ने कहा तो मनोहर जी एकदम से उछल पड़े। उन्होने ये नहीं सोचा था कि उनकी बिटिया कुछ ऐसा कहने वाली है। हालात को काबू रखते हुए उन्होनें पूछा “ कौन है वह ?” डरते हुई स्वीटी ने कहा ,” आदिल नाम है उसका।" Swatantra Bulbul is a short love story from Romanch Ki Duniya. Love of father, sad story, love s

दैनिक वंदना

दैनिक वंदना ॐ   ब्रह्मानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं। द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम्॥  एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षिभूतं। भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरुं तं नमामि॥ कर्पूरगौरम करूणावतारम संसारसारम भुजगेन्द्रहारम। सदावसंतम हृदयारविंदे भवमभवानी सहितं नमामि॥ वसुदेव-सुतं देवं कंस-चाणूर-मर्दनम्। देवकी-परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद् गुरुम्॥ नीलाम्बुज श्यामल कोमलांग सीता समारोपित वाम भागम्‌। पाणौ महा सायक चारु चापं नमामि रामं रघुवंश नाथम्‌॥ त्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव। त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव त्वमेव सर्वं मम देव देव॥