Skip to main content

हमारी तृष्णा

आज का विचार-
अनंत भोगों का उपभोग करके भी अज्ञानी मन की तृष्णा वैसे ही असंतुष्ट होती है जैसे मरुस्थल की मरुभूमि जल की बूंदो से।

इसीलिए तो राजा ययाति ने कहा था-

भोगा न भुक्ता वयमेव भुक्ताः

तपो न तप्तं वयमेव तप्ताः ।

कालो न यातो वयमेव याताः

तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णाः ॥

हमने भोग नहीं भुगते, बल्कि भोगों ने हमें भुगता है; हमने तप नहीं किया, बल्कि हम स्वयं ही तप्त हो गये हैं; काल समाप्त नहीं हुआ, बल्कि हम स्वयं समाप्त हुए हैं; तृष्णा जीर्ण नहीं हुई, पर हम ही जीर्ण हुए हैं।


Comments

Popular posts from this blog

केदारनाथ शिवलिंग की कथा(Story of Kedarnath Shivlingam) Mythology

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले मे हिमालय की गोद मे स्थित केदारनाथ धाम पांचवा ज्योतिर्लिंग तथा छोटा चार धाम मे से एक धाम भी है। सभी ज्योतिर्लिंगों की कथा शिवपुराण की कोटिरुद्रसंहिता से ली गई है। केदारनाथ शिवलिंग की कथा भगवान शिव के पांचवे ज्योतिर्लिंग का नाम केदारनाथ है जिसकी पौराणिक कथा दी जा रही है। भगवान विष्णु के अवतार नर और नारायण बदरिकाधाम(बद्रीनाथ) मे रहकर तपस्या किया करते थे। एक बार उन्होने एक पार्थिवशिवलिंग बनाया और उसकी अराधना करने लगे। उन्होने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे शिवलिंग मे विराजकर उनकी प्रार्थना स्वीकार करें।  उनकी प्रार्थना पर भगवान शिव उस केदारतीर्थ मे प्रकट हुए और वहीं स्थित हो गए। भगवान के इस स्वरूप का नाम केदारनाथ हुआ।

पश्चिमी एवं भारतीय संस्कृति में अंतर । Difference between Western and Indian civilization. by the romanch

पश्चिम तथा भारतीय संस्कृति में अंतर पश्चिमी संस्कृति और भारतीय दोनों ही संस्कृतियों ने अच्छाई , बुराई , धर्म , ईश्वर , मोक्ष , मुक्ति , पाप-पुण्य , स्वर्ग आदि के विषय में सदियों से चर्चा की है। हज़ारों दृष्टिकोणों के बाद भी किसी ऐसे सटीक निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका है कि परम सत्य कैसा है। क्या है। वस्तुतः हम इतने समय के पश्चात भी भूमि पर ही हैं। ऐसे मे ये जानना आवश्यक है कि हमने दोनों शैलियों के मध्य क्या अंतर पाया ? ईश्वर और भगवान मे अंतर पश्चिमी सभ्यता के अनुसार ईश्वर ने अपना संदेश किसी व्यक्ति के द्वारा भेजा , उसी व्यक्ति ने लोगों को उसके विषय मे बताया। उसने ईश्वर के यश की कहानियां सुनाई और तमाम और बातें बताई किंतु उसमें ईश्वर के विषय मे अधिक पता न चला। भारतीय संस्कृति मे भगवान और ईश्वर दो अलग-अलग अर्थ वाले शब्द हैं। भगवान ऐसे महान व्यक्तियों को कहते हैं जिन्होनें हमारे जैसे ही जन्म लिया , इस धरती पर घूमे , जिनका जीवन हमारे जीवन से अधिक संघर्षपूर्ण रहा किंतु उन्होनें कभी हार नहीं मानी। वे आगे बढ़ते गए और उसके संकल्प , उसकी क्षमताओं को हमने सामान्य मनुष्य से बढ़कर मा...

सोमनाथ लिंग की कथा (story of Somnath Temple) Mythology

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र में वेरावल बंदरगाह, प्रभास क्षेत्र मे स्थित सोमनाथ मंदिर भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों मे प्रथम स्थान पर आता है। ऐतिहासिक रूप से अत्यधिक उतार-चढ़ाव झेलने वाला यह मंदिर अपने वैभव के लिए सदैव ही विश्वविख्यात रहा है। सभी ज्योतिर्लिंगों की कथा शिवपुराण की कोटिरुद्रसंहिता से ली गई है। सोमनाथ लिंग की कथा शिवपुराण की कोटिरुद्रसंंहिता की एक कथा के अनुसार प्रजापति दक्ष ने अपनी सत्ताइस कन्याओं का विवाह चंद्रदेव से किया थ। चंद्रदेव को उन सत्ताइस मे से रोहिणी ही सर्वाधिक पसंद थी जिससे वे सबसे अधिक प्रेम प्रदर्शित करते थे। दक्ष की अन्य छब्बीस कन्याएं इस बात से दुखी होकर अपने पिता के पास गई और अपनी समस्या बताई। दक्ष ने चंद्रदेव को समझाया कि उन्हे सभी पत्नियों को बराबर प्रेम व सम्मान देना चाहिए। यद्यपि प्रजापति ने चंद्रदेव को समझाया किंतु फिर भी वे रोहिणी के प्रति ही आसक्त रहे और इस बात से रुष्ट होकर प्रजापति ने उन्हे श्राप दिया कि जाओ क्षय रोग से पीड़ित हो जाओ। चंद्र के क्षय होने से समस्त लोकों मे हाहाकर मच गया। सभी देवता, देवराज इंद्र तथा कुछ ऋषिगण भगवान ब्रह्मा ...