अवतार क्या होता है? What is incarnation? सोलहवीं शताब्दी मे कृष्णभक्ति से सम्पूर्ण भारत को कृष्णप्रेम मे डुबाने वाले चैतन्य महाप्रभु के जीवन और शिक्षाओं पर लिखी गई कृष्णदास कविराज की पुस्तक चैतन्य चरितामृत मे उन्होनें अवतार के अर्थ को स्पष्ट किया है। उन्होने लिखा है- सृष्टिहेतु एइ मूर्ति प्रपञ्चे अवतरे। सेइ ईश्र्वरमूर्ति अवतार नाम धरे॥ मायातीत परव्योमे सबार अवस्थान। विश्र्वे अवतरी धरे अवतार नाम॥ "संसार के लिए उस परमधाम से भौतिक अवस्था मे ईश्वर आते हैं। ईश्वर का यह रूप अवतार कहलाता है। ऐसे अवतार अपने ब्रह्मरूप मे स्थित रहते हैं तथा जब ये संसार मे शरीर धारण करते हैं, उतरते हैं, तो उन्हें अवतार कहा जाता है।" He(God) comes to the physical state from that supreme abode for the world. This form of God is called an Avatar. Such avatar reside in their Brahman form and when they come in bodies in the world, when they descend, they are called avatars.
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