पौधा तो मिट्टी मे ही उगता है चट्टानों मे नही॥
पौधे का आधार है जड़ और जड़ सदैव मिट्टी मे ही रहती है। चाहकर भी उसे चट्टान या पत्थर पर नही उगा सकते। हां किसी गमले मे मिट्टी लेकर उसमें पौधे को लगाकर किसी भी महल-हवेली के फर्श पर रख सकते हैं किंतु उसका आकार एक लघुसीमा मे परिबद्ध होगा।
ठीक जीवन भी इसी प्रकार है। मिट्टी संघर्ष है, चट्टान सुख-सुविधाएं हैं और पौधा,
पौधा है स्वयं का गौरव जिसकी जड़ है सफलता।
जो लोग स्वयं संघर्ष करते हैं, सुख-सुविधाओं की चिंता ना करके अपने कर्म के लिये उन्मुख रहते हैं, उनकी सफलता और विशाल होती जाती है और उनका गौरव विशालकाय होता जाता है।
जो माता-पिता अपने बच्चों की सुख-सुविधाओं का अधिक ध्यान रखते हुए उनसे कोई काम नहीं कराना चाहते उनके बच्चे स्वयं के आस्तित्व को कहां ढूंढ पायेंगे। यदि वे थोड़ी सी मिट्टी गमले मे रखकर अर्थात थोड़ी सी मेहनत करवाकर और बाकी स्वयं के नाम और ख्याति से उसे किसी महल मे रख भी देते हैं तब भी उसका उठना हद मे होगा।
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