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Showing posts from September, 2020

अनोखी मछली (भाग 10) | रोमांच। Anokhi Machhali (part 10) | Love Story | Comical Story | Mythology | Romanch

अनोखी मछली  रोमांच। Anokhi Machhali (part 10) | Love Story | Comical Story | Mythology | Romanch यह कहानी हमारी कहानी अनोखी मछली का दसवां भाग है। यदि आपने इसका पहला भाग नहीं पढ़ा है तो यहां से पढ़ें। अनोखी मछली (भाग 1) पिछला भाग-  अनोखी मछली (भाग 9) भाग 10 दिन निकल आया था। अंगद का दल जहाज पर आ गया था। पिछली शाम से ही सोनल और अंगद अत्यधिक प्रसन्न दिखाई दे रहे थे जिस पर तवेशर और मुनीर को भी आश्चर्य हो रहा था। यद्यपि वे थोड़ा नाराज भी थे क्योंकि उन्हे बांध कर रखा गया था और बाद मे जब खोला गया तब भी उन्हें अंगद ने अपने साथ नहीं बुलाया था। मुनीर के तवेशर से कहे शब्दों के अनुसार अंगद अब बड़ा आदमी बन गया था जिसकी राजाओं , सरदारो और राजकुमारियों से दोस्ती हो गई थी और अब वह मुनीर जैसे गरीबों की उपेक्षा करना शुरु कर चुका था। दल के सभी लोग जहाज पर चढ़ चुके थे। सरदार तवारी स्वयं आए थे। “अंगद” तवारी ने आवाज दी। “जी सरदार!” अंगद उनके समीप गया। मन के भीतर तो उसके अंदर अपने नाना के लिए आदर था ही। तवारी ने उसके कंधे पर हाथ रखा और तट पर चलने लगे। उनके साथ-साथ अंगद को भी चलना पड़ा। रबील कबीले के लगभग प

अनोखी मछली (भाग 9) | रोमांच। Anokhi Machhali (part 9) | Love Story | Comical Story | Mythology | Romanch

अनोखी मछली रोमांच। Anokhi Machhali (part 9) | Love Story | Comical Story | Mythology | Romanch  यह कहानी हमारी कहानी अनोखी मछली का नौंंवा भाग है। यदि आपने इसका पहला भाग नहीं पढ़ा है तो यहां से पढ़ें। अनोखी मछली (भाग 1) पिछला भाग- अनोखी मछली (भाग 8) भाग 9   तवारी के विशेष आग्रह पर अंगद और उसके सभी साथी एक दिन के लिए रुकने को तैयार हो गए थे। सभी ने घूमने की इच्छा की थी और तवारी ने अपने कुछ लोगों को उनके साथ घूमने भेज दिया था। सोनल आज कुछ परेशान सी थी। उसे पता था कि अंगद बहुत कुछ छिपा रहा है और यही सब उसे बुरा लग रहा था। मछली की खोज अब भी उतनी ही दूर थी जितनी पहले। उसे कबीले के भीतरी हिस्से मे घूमना अच्छा नहीं लगा। वह तट की तरफ चली गई। तट किनारे टहलते हुए वह लहरों को देखने लगी। दूर-दूर तक शून्य दिखाई दे रहा था। सिर्फ शून्य। उसने नजरें वापस द्वीप की ओर की। सामने एक पहाड़ी दिखाई दे रही थी। समुद्र और द्वीप के बीच एक पहाड़ी। आगे की तरफ द्वीप से एक नहर बहकर समुद्र मे मिल रही थी। उसने नहर पार की और पहाड़ी पर चढ़ने लगी। इधर अंगद कबीले मे घूमते हुए पूर्वी ओर गया। उसके साथ प्रदु नाम का एक चौदह-पंद

अनोखी मछली (भाग 8) | रोमांच। Anokhi Machhali (part 8) | Love Story | Comical Story | Mythology | Romanch

अनोखी मछली रोमांच। Anokhi Machhali (part 8) | Love Story | Comical Story | Mythology | Romanch यह कहानी हमारी कहानी अनोखी मछली का आंठवा भाग है। यदि आपने इसका पहला भाग नहीं पढ़ा है तो यहां से पढ़ें। अनोखी मछली (भाग 1) पिछला भाग- अनोखी मछली(भाग 7) भाग 8 सैनिक के वार से बचने के लिए अंगद ने अपनी ढाल आगे की। वार घातक था लेकिन ढाल ने बचाया। अंगद ने तुरंत जोर देकर उसे पीछे धकेल दिया। तब तक दूसरा सैनिक आ चुका था। उसके तलवार के वार से नीचे झुककर खुद को बचाकर अंगद ने उसके पैरों पर ढाल मारी। वह गिर गया। उसके कंधे पर पैर रखकर वह उछला और आगे के तीन सैनिकों को उसने धक्का दिया। ढाल का जोर लगते ही वे गिरे और तुरंत खड़े हो गए। इतनी देर मे सभी सैनिक आ चुके थे और उन्होने अंगद को घेर लिया था। अंगद उनके बीच मे घिरा अपने कदमों को सम्भाले इधर-उधर चौकन्ना होकर देख रहा था। किसी भी समय होने वाले हमले से तैयार वह अपनी ढाल को मजबूती से थामे था। सैनिक उस पर वार करने ही वाले थे। “रुक जाओ!” जंगल के भीतर से आवाज आई। सैनिक रुक गए और एक पंक्ति मे अनुशासित ढंग से खड़े हो गए। अंगद ने देखने की कोशिश की। भीतर से एक

अनोखी मछली (भाग 7) | रोमांच । Anokhi Machhali (part 7) | Love Story | Comical Story | Mythology | Romanch

अनोखी मछली रोमांच। Anokhi Machhali (part 7) | Love Story | Comical Story | Mythology | Romanch यह कहानी हमारी कहानी अनोखी मछली का सांतवा भाग है। यदि आपने इसका पहला भाग नहीं पढ़ा है तो यहां से पढ़ें। अनोखी मछली (भाग 1)   पिछला भाग-   अनोखी मछली (भाग 6)   भाग 7 अरब सागर मे उतरा कोंकण का एक जहाज हिंद महासागर मे दो महीने बिता चुका था। जहाज के लोगों को एक ऐसी चीज की तलाश थी जो किसी को नहीं पता कि कहां है। काफी विचार-विमर्श करने के बाद समूह इस नतीजे पर पहुंचा था कि वे समुद्री द्वीपों पर जाकर वहां बसी जन-जातियों से इस कहानी के विषय मे पूछेंगे। ऐसे बहुत से द्वीप हैं जहां जनजातियां रहती हैं जो पूर्व समय के मछुवारों के बीच से ही अलग होकर किसी द्वीप पर रहने लगी थी। बहुत से द्वीपों का चक्कर लगा लेने के बाद भी कुछ पता न चलने पर समूह कुछ निराश था। सभी महत्वपूर्ण लोग जहाज की छत पर खड़े होकर कुछ बातचीत कर रहे थे। “इस दिशा मे तो बढ़ना भी सही नहीं लग रहा मुझे” मुनीर ने मानचित्र देखते हुए कहा। उन्होने अपनी यात्राओं और पहले की यात्राओं के आधार पर एक नया समुद्री मानचित्र बनाया था। “पर उम्मीद इसी तरफ से