नवरात्रि । सकारात्मकता के नौ दिन। देवी के नौ रूपों मे प्रकृति की महत्ता । रोमांच । navaratri | nine days of positivity | imporance of nature in nine forms of Devi | Romanch | The Romanch
नवरात्रि
एक कथा सुनाई जाती
है कि एक बार ऋषि-मुनियों की एक सभा आयोजित की गई जिसमें सभी ऋषि-मुनियों ने ज्ञान
आदि के लिए भगवान शिव और देवी पार्वती को निमंत्रित किया। शिव और शिवा दोनों वहां
पधारे और उनको देखकर सभी ने उनका स्वागत किया। सभा प्रारम्भ होती इससे पहले ऋषियों
के समूह ने देवाधिदेव और आदिशक्ति की अराधना व परिक्रमा करने की इच्छा की जिसे
हमारे माता-पिता ने मुस्कुराकर स्वीकार किया।
उसी सभा मे भृंगी
ऋषि भी थे। भृंगी ऋषि के अंदर नारी शक्ति के प्रति तुच्छ भाव थे और उनके अनुसार
नारी का महत्व पुरुष के समक्ष अधिक नहीं होता था जिसके कारण वे आदिशक्ति माता
पार्वती को भी बस महादेव की पत्नी के आधार पर ही सम्मान देते थे किंतु आदिमाता के
रूप मे उनके अंदर कोई विशेष भाव नहीं था। जिस समय सभी ऋषियों ने महादेव और माता
पार्वती की परिक्रमा की, उसी समय भृंगी ऋषि ने केवल महादेव की परिक्रमा
की और देवी को छोड़ दिया।
ऐसे समय देवी ने
अपनी लीला की। उन्होनें भृंगी ऋषि को सम्बोधित करके कहा कि आपको नारी शक्ति अर्थात
प्रकृति की कोई आवश्यकता नहीं है इसीलिए आपके शरीर से मै प्रकृति के गुणों को ले
लेती हूं तब आपपर प्रकृति का कोई भार नहीं रहेगा। ऐसा कहकर देवी ने उनसे
प्रकृतिप्रदत्त सभी चीजें ले ली और अगले ही क्षण भृंगी ऋषि शून्य हो गए।
प्रकृति जिससे हमारा
सम्पूर्ण शरीर बना है, उसके चले जाने से भला क्या बच सकता है? वे आत्मा के स्वरूप मे हो गए और तब उन्हें अपनी
भूल का भान हुआ और उन्होनें देवी प्रकृति से क्षमा मांगी। करुण और उदार देवी ने
तुरंत उन्हें क्षमा कर दिया और वापस से उन्हें प्रकृति के अवयव लौटा दिए और
उन्होनें अपना शरीर प्राप्त कर लिया।
देवी या प्रकृति हम
उन्हें चाहे जिस नाम से पुकारें, वे सदैव ही सर्वस्व
रहीं हैं और सदैव रहेंगी। हम प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष दोनों ही रूपों से उस पर
निर्भर हैं तो उसको हम क्यों कम महत्व दें। शक्ति के बिना शिव शव बनकर रह जाते
हैं। उनके बिना राम रावण को मार नहीं पाते। कृष्ण भी जन्म लेते समय देवी के अनुसार
चलते हैं। तमाम कथाएं प्रकृति के महत्व को वर्णित करती हैं। यहां तक कि विज्ञान भी
प्रकृति को हमारे जीवन का अभिन्न अंग मानता है जिसके बिना हम नहीं रह सकते है।
आप सोच रहे होंगे कि
इसमें नवरात्रि का क्या महत्व है। प्रश्न उचित है किंतु जबाब भी तैयार है।
एक रिपोर्ट के अनुसार प्रतिदिन भारत मे 381 लोग आत्महत्या कर लेते हैं। क्यों? क्योंकि वे डिप्रेशन मे हैं। अब इसका यहां पर क्या काम?
विश्व की आबादी का
एक बहुत बड़ा हिस्सा इस समय डिप्रेशन मे है। तरह-तरह की समस्याएं उनके जीवन मे इस
तरह फैली हुई हैं कि वे इंसान को दबोचकर रखे हुए हैं। ज्यों-ज्यों तरक्की बढ़ती जा
रही है, लोगों मे स्पर्धा बढ़ती जा रही है और इसका परिणाम
यह है कि वे स्वयं से खो रहे हैं। वे स्वयं को खोकर संसार मे आगे जाना चाहते हैं।
लोगों का जो स्वयं
है ना यही प्रकृति हैं। लोग उससे दूर हो रहे हैं। आज की आवश्यकता है कि हम कुछ समय
के लिए रुकें। नवरात्रि के ये नौ दिन माता को दें। उनको देकर हम प्रकृति से जुड़ें।
प्रकृति का आनंद लें। स्वयं को कुछ समय के लिए समझें और फिर धीरे-धीरे आगे बढ़ें।
इन नौ रात्रियों मे
भविष्य की कोई योजना बनाए बिना यदि केवल वर्तमान को जिया जाए तो? यदि चिंता छोड़कर अपनों को समझा जाए तो? अगर दुनिया को भूलकर बस सामने देखा जाए तो? क्या ऐसा करने से मन को शांति नहीं मिलेगी? क्या यह एक अच्छा विचार नहीं होगा कि हम अपने को
जान लें और मां को अपने कष्ट बताएं और उनसे रास्ता पूछें किंतु बिना किसी दुख के?
नवरात्रि के इन
दिनों को एक ऐसे त्यौहार के रूप मे बिताना है जो हमें सकारात्मक ऊर्जा से भर दें।
जो हमें अपने आशीर्वाद से भर दे ताकि हम स्वयं को स्वयं मे पा सकें।
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Osm sir...🙌👌
ReplyDeleteOsm sir....🙌👌
ReplyDeletejai mata di
ReplyDeleteनवरात्रि की बहुत बहुत बधाईयां
ReplyDeleteVery Good Sir. Your writing is mesmering. I am big fan of your's.
ReplyDeleteNice...👌
ReplyDeleteWell navaratri mean nine days of positivity in the forms of devi nice title i am motinvated
ReplyDeleteThanku
It is very interesting
ReplyDeleteand should be known by every
Person belonging to hindu culture in order to remove bad and negative taught against hindu culture
We hope u will bring more for us
Thanku
It is very interesting to know about hindu culture and it should be known by every person belonging to hindu culture in order to remove all bad taught against hindu culture
ReplyDeleteThanku
Plz bring More for us
Spread these idias
👌👌🙏
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