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अनोखी मछली (भाग 11) | रोमांच। Anokhi Machhali (part 11) | Love Story | Comical Story | Mythology | Romanch

अनोखी मछली

रोमांच। Anokhi Machhali (part 11) | Love Story | Comical Story | Mythology | Romanch




यह कहानी हमारी कहानी अनोखी मछली का ग्यारहवां व अंतिम भाग है। यदि आपने इसका पहला भाग नहीं पढ़ा है तो यहां से पढ़ें।

अनोखी मछली (भाग 1)

पिछला भाग- अनोखी मछली (भाग 10)


भाग 11


“कोई जिंदा ना बचे!” सोनल ने अपने लोगों से कहा।

“हूं!” लुटेरे ने अपने लोगों को आदेश दिया। वह इतने कम लोगों को खत्म करना दुनिया का सबसे आसान काम समझता था।

दोनों दलों के लोग एक दूसरे की ओर दौड़े। ना कोई योजना, ना कोई व्यूह, केवल एक नियम था, आक्रमण!

सबसे आगे दौड़ती हुई सोनल ने उछलकर दो लुटेरों के बीच की जगह से तीसरे को मुक्का मारा। धड़ाम की आवाज के साथ वह गिरा। उसकी नाक फूट गई थी। उसने झट से उसकी तलवार ली और पीछे घूम चुके उन सैनिकों के ऊपर वार किया जो अपनी तलवार को सोनल पर छोड़ चुके थे। दोनों की तलवारें साथ ही सोनल की तलवार से टकराईं। उसने उनकी तलवारों को साधकर बाएं वाले की जांघो पर लात मारी। वह गिर गया तो उसने दाहिनी तरफ वाले को धक्का देकर पीछे किया और बाएं वाले का सिर उड़ा दिया। पल भर मे उसने दो लुटेरों को गिरा दिया था। पीछे से और लुटेरे आने लगे जिनके ऊपर वह बिजली सी टूटने लगी। अपने आगे के तीन और लुटेरों को समाप्त करके उसने अंगद की ओर देखा जिसने अभी-अभी एक लुटेरे को गिराया था।

अंगद नियमित योद्धा नहीं है। वह बहुत अधिक देर तक लड़ने मे समर्थ नहीं होगा।

तवेशर अपने दोनों हाथों मे तलवार लिए लुटेरों को काटता जा रहा था। उसने शुरुआती कुछ लुटेरों को मारकर जान लिया था कि ये लुटेरे बहुत अधिक शक्तिशाली नहीं हैं। ये जल्द ही थक जाएंगे। उसने अपने आगे वाले लुटेरे की जांघ पर झुककर वार किया जिसने उसके गले को निशाना बनाया था। झुकने से सामने वाले का वार विफल हुआ और उसने अपने पैरों को निशाना बनाने का मौका दे दिया। अगले ही पल वह जमीन पर पड़ा दर्द से कराह रहा था।

डाकुओं का सरदार यह सब देख रहा था। वह अभी तक युद्ध से बाहर खड़ा था। उसे अपनी जीत पर भरोसा था।

“हांह” सोनल ने बाईं ओर तलवार घुमाकर लुटेरे का कंधा काट दिया। उसने अभी-अभी उसके हाथ पर वार किया था। आगे की तरफ से सीधा वार करने वाले के सीने मे तलवार भोंककर उसने देखा। उसके ज्यादातर सैनिक जमीन पर पड़े हैं कुछ दस-बारह ही बचे हैं। अंगद भी अब थकने लगा है। कोई भी तरीका नहीं दिख रहा जीत का। दुश्मन अब भी बहुत अधिक है। क्या किया जाए, उसने स्वयं से प्रश्न किया। तभी उसके दिमाग मे एक खयाल आया। उसने पीछे घूमकर पानी मे देखा। मछली अब भी वहीं थी जो युद्ध को देख रही थी। उसने अंगद को आवाज दी।

“पानी मे चलो!” वह पानी की ओर दौड़ी।

अंगद को समझ तो नहीं आया किंतु वह भी पीछे-पीछे गया। लुटेरों ने दुश्मन का पलायन देखा तो उनमें जोश आया। वे भी पीछे की ओर दौड़े। सबसे आगे सोनल थी। उसने मछली तक की दूरी को तय किया।

मछली जो अब तक सिर्फ देख रही थी, अनायास होने वाले इस हमले से एकदम चौंक गई थी। सोनल ने उसके पास जाकर पीछे देखा। लुटेरों को उस तक पहुंचने मे बीस सेकंड का समय लग रहा था। उसने झट से मछली से कहा, “तुमने सुना है वे लोग तुमसे ये सब चाहते हैं, हम नहीं। मै वादा करती हूं कि मै तुम्हारी इच्छा के बिना तुमको कहीं नहीं ले जाउंगी पर इस वक्त इनको समाप्त करने मे हमारी सहायता करो।”

मछली उसको देखती रही और फिर और अधिक गहरे पानी मे चली गई। इतनी देर मे कुछ लुटेरे उस तक पहुंच गए थे। सोनल ने घूमकर आगे वाले लुटेरे के गले पर वार किया। खून के छींटे पानी मे मिल गए और गला दूर जाकर गिरा। पीछे आने वाले एक अन्य लुटेरे पर उसने दूसरा वार किया।

तवेशर ने अपनी ओर से मैदान खाली कर दिया था। उसके सर्वश्रेष्ठ सैनिकों मे छः वीरगति को प्राप्त हो चुके थे किंतु अब भी उसके चौदह सैनिक और वो ठीक थे और उन लोगों ने सौ से भी ज्यादा लुटेरे मार दिए थे। लाशों के ढेर से उन्होने चीखा। अंगद पानी मे आ चुका था और सोनल के साथ लड़ रहा था। उसके सभी साथी खत्म हो गए थे और वो अकेला बचा था। मुनीर दूर छोर पर कुल चार लोगों के साथ लड़ रहा था। वह बहुत अधिक थक गया था।

“मुनीर!” अंगद ने चीख कर आवाज दी। “वाकू-माकू” उसने गुप्त भाषा मे मुनीर से कहा। वह समझ गया।

अंगद को समझ आ गया था कि सोनल पानी मे युद्ध क्यों करना चाहती थी किन्तु उसे यह नहीं पता था कि मछली ने सहायता देने से मना कर दिया था और अधिक गहरे पानी मे चली गई थी।

लगभग तीन सौ सैनिक पानी मे आ चुके थे और लड़ने वाले सिर्फ दो। लुटेरे को पता था कि यदि वे राजकुमारी को समाप्त कर दें तो युद्ध अभी खत्म हो जाएगा। तवेशर के लोगों ने पचास और लोगों को खत्म कर दिया था।

“राजकुमारी को समाप्त करो!” लुटेरों के सरदार ने आदेश दिया।

सभी लुटेरे राजकुमारी की ओर आने लगे। अंगद सोनल के बगल मे ही लड़ रहा था। उसने देखा कि सोनल अब भी लड़ रही है किंतु उसके आसपास लुटेरे बढ़ते जा रहे हैं।

ये पीछे नहीं हटेगी। मुझे ही करना होगा।

उसे पता था कि सोनल को यह अच्छा नहीं लगेगा किंतु उसने ऐसा करना सही समझा। अपनी तलवार से उसने राजकुमारी के सामने वाले लुटेरों पर धक्केनुमा वार किया और सोनल का दाहिना हाथ पकड़कर उसने अपनी ओर खींचा।

सोनल ऐसी किसी चीज के लिए तैयार न थी। वह खिंची चली गई। अंगद उसको गहरे पानी मे खींचने लगा। “राजकुमारी मेरी इतनी बात मान लीजिए और दौड़िए”

“कहां चल रहे हो?” सोनल रुकना चाहती थी।

“चलिए बस” वह और ज्यादा खींचने लगा तो सोनल तेज दौड़ने लगी। पीछे लुटेरे भी उनकी तरफ दौड़ने लगे।

“अभी गहरे पानी मे चलिए। इनसे वहीं लड़ेंगे” अंगद ने जोर से किया। उसने अपने जहाज को देखा जहां चुपके से मुनीर पहुंच गया था और एक छोटी नाव तैयार कर रहा था।

तवेशर अपने साथियों के साथ राजकुमारी की मदद के लिए आ रहा था। उसने चिल्लाया, “और तेज!”

सोनल और अंगद ने अपने और लुटेरों के बीच पचास मीटर की दूरी बना ली थी। वे पानी मे और अधिक तेज जा रहे थे यद्यपि वहां तेज दौड़ना अब कठिन हो गया था।

“मछली!” अंगद ने आगे की ओर देखकर कहा।

सोनल ने देखा सामने से अनोखी मछली आ रही थी। वे और तेज हुए।

“राजकुमारी! आप और आगे जाइए” मछली ने कहा और उछल भरकर वह लुटेरों के सामने पहुंच गई। उसकी दाहिनी आंख बहुत अधिक चमक रही थी। उसकी चमक देखकर लुटेरे रुक गए। मछली ने पानी मे बिजली दौड़ाई। वे उल्टा भागे लेकिन मछली उनकी तरफ और तेजी से गई और उसके शरीर मे झटके लगने लगे।

इतने समय मे मुनीर एक छोटी नाव लेकर पहुंच गया था और अंगद और सोनल उसमें चढ़ गए। बिजली का प्रभाव तट के आसपास हो चुका था और डाकू उसमें तड़प रहे थे। तवेशर ने लुटेरों के सरदार को पकड़ कर दबा दिया था और उसके साथी उसे बांध रहे थे। कुछ पांच मिनटों मे सारे लुटेरे बिजली से झुलसकर खत्म हो गए। चारों ओर इतनी देर बाद फिर से शांति हुई।

“नीचे चलें?” मुनीर ने कहा।

“नहीं अभी भी पानी मे बिजली है। कुछ समय रुक जाओ फिर चलते हैं।”

 

काले चट्टान के उस द्वीप से कुछ दूरी पर एक बड़ा द्वीप था जिसमें बहुत से पेड़ थे। सभी मरे हुए लुटेरे तथा वीर सैनिकों के मृत शरीरों को वहां ले जाया गया था। मुनीर, तवेशर और बाकी बचे लोग लकड़ी काटकर चिताएं लगा रहे थे। इतने सारे लोगों को जलाने के लिए अधिक लकड़ी की आवश्यकता थी।

अंगद तट पर खड़ा अपने मरे हुए साथियों को देख रहा था। ये वही लोग थे जिनको उसने बचपन से देखा था। जिनके साथ अनेकों समुद्री यात्राएं की थीं। जो अपने जीवन को उसके लिए बलिदान कर गए। आंसूओं की कुछ बूंदे छलछला आईं।

पीछे सोनल खड़ी थी। एकदम शांत। उसे पता था कि मछुवारे अन्य योद्धाओं की तरह नहीं हैं। यद्यपि वे अत्यंत खतरनाक यात्राएं करते हैं किंतु इस तरह युद्ध मे प्राण गवांना उनके लिए सहज नहीं होता है। उसने खुद को थोड़ी देर तक अलग रखा।

उसके पीछे पानी मे अनोखी मछली रुकी हुई थी। उसकी दाहिनी आंख अब शांत हो गई थी और उसकी चमक अब कम हो गई थी। वह इंसानों के इस अंतिम कार्य को देख रही थी। खुशी-खुशी रहने वाली शांत मछली ने अपनी शक्तियों से इतने लोगों के प्राण ले लिए थे। उसको इस बात का बहुत दुख था।

 

चार घंटे मे सभी चिताएं लगाई जा चुकी थीं और मृत लोगों को उस पर लिटाया जा चुका था। सोनल के आदेश पर लुटेरों के सरदार को लाया गया था ताकि वह अपने लोगों को अंतिम बिदाई दे सके। वह फूट-फूट कर रोने लगा। शायद उसे अपने करने का पछतावा हो रहा था।

एक-एक करके सभी चिताओं को अग्नि दे दी गई। अगले कुछ घंटो तक वे जलती रहीं।

“मुनीर!” अंगद ने रुंधे हुए गले से कहा, “एक पात्र लेकर आओ। हमें अनोखी मछली को ले चलना है।”

“नहीं अंगद!” सोनल ने बड़ी ही शांति से उत्तर दिया।

मछली नीचे पड़ी उनकी बात सुन रही थी।

वह नीचे बैठ गई और पानी मे हाथ डाल दी। मछली उसकी अंजुलि मे आ गई।

“मैंने ही यह जिद की थी कि यह मछली मुझे मिले और उसके मिलने का यह परिणाम हुआ। अगर यहां एक समुद्री लुटेरों के युद्ध मे इतना अधिक खून खराबा हुआ तो वहां कितना होगा। धन के लालच मे पूरा आर्यावर्त इसके पीछे पड़ जाएगा। हम इस मछली को नहीं ले जाएंगे।”

मछली ने उसकी सजल आंखो को देखा। “तुम बिल्कुल सोना जैसी हो। तुम्हारे अंदर बिल्कुल भी लालच नहीं है। तुम प्यारी हो और सुंदर भी। मै तुम्हारे साथ ही रहना चाहती हूं लेकिन तुम सही कहती हो। वहां पर मेरी वजह से बहुत से लोग आपस मे लड़ेंगे। मैं यहीं ठीक हूं।”

सोनल ने नीचे झुककर उसको चूम लिया और उठकर खड़ी हो गई।

“तुम्हारा यह घर बहुत अच्छा है। यहां कोई नहीं आता है। तुम यहीं रहो। हमेशा।”

उसने अंगद की ओर देखा जिसकी आंखे प्रेम और आदर से भरी हुई थीं। वह उसके पास गई और उसके सीने से लग गई।

कोंकण की राजकुमारी को मछुवारों का सरदार मिल गया था।

 

समाप्त

 

दोस्तों अनोखी मछली का किस्सा समाप्त हुआ लेकिन सोनल और अंगद का रोमांच अभी समाप्त नहीं हुआ। बहुत जल्द ही कहानी का अगला भाग आएगा जहां इस कहानी मे आए अनेकों रहस्योंं से पर्दा उठेगा। 

आपको यह कहानी कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताएं। आगे और भी कहानियां पढ़ने के लिए हमें फॉलो करें। 

धन्यवाद।

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