Skip to main content

भीमशंकर शिवलिंग की कथा (Story of Bheemshankar Shivlingam) Mythology

भीमशंकर ज्योतिर्लिंग


सह्याद्रि पहाड़ियों के पास पुणे से 110 किलोमीटर दूर छठे ज्योतिर्लिंग भीमशंंकर का मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि पास से बहती भीमा नदी का उद्गम इसी मंदिर से होता है।

 सभी ज्योतिर्लिंगों की कथा शिवपुराण की कोटिरुद्रसंहिता से ली गई है।

भीमशंकर शिवलिंग की कथा

भगवान शिव का छठा ज्योतिर्लिंग भीमशंकर है।

बात तब की है जब त्रेता मे भगवान राम का जन्म हुआ था। उस समय कर्कट और पुष्कसी नाम के एक राक्षस दम्पति ने महर्षि अगस्त्य के शिष्य महान रामभक्त सुतीक्ष्ण को आहार बनाने के उद्देश्य से यात्रा की। जैसे ही वे दोनों महान ऋषिभक्त के सामने गए, सुतीक्ष्ण ने उन दोनों ने अपने तपबल से भस्म कर दिया। 

इस दम्पति की कर्कटी नाम की एक कन्या थी जिसका विवाह विराध नाम के एक राक्षस के साथ हुआ था। विराध को भगवान राम ने मार दिया जिसके बाद कर्कटी सह्य पर्वत पर अकेली रहने लगी। एक दिन वहां रावण का छोटा भाई कुम्भकर्ण आया और अकेली स्त्री देखकर उसने कर्कटी का बलात्कार किया और वापस लंका लौट गया। कुम्भकर्ण का वीर्य कर्कटी के गर्भ मे पहुंच गया जिससे उसे एक संतान प्राप्त हुई जिसका नाम भीम पड़ा।

दानव भीम अपने पिता के समान ही अत्यंत भयंकर, दुष्ट, दुराचारी और पापी था। एक समय जब उसकी माता ने उसे यह सारी घटना बताई तब उसने क्रोध मे आकर श्रीहरि विष्णु को हराने की सपथ ली और ब्रह्मदेव की तपस्या करने लगा। लम्बे समय तक तपस्या करने के बाद ब्रह्मदेव प्रकट हुए और उससे वरदान मांगने को कहा जिसपर उसने नारायण को हराने वाली अपार शक्ति मांग ली।

शक्ति प्राप्त करके दानव ने स्वर्ग पर चढ़ाई की और इंद्र को जीत लिया। अपनी सहायता के लिए इंद्र ने श्रीहरि को बुलाया और ब्रह्मदेव के वरदान का सम्मान करते हुए पराजय स्वीकार की। गर्व से भरे हुए राक्षस ने पृथ्वी के अलग-अलग राज्यों पर चढ़ाई की और उसे जीत लिया। उस समय कामरूप देश के राजा शिवभक्त सुदक्षिण थे जिसको उसने हराकर बंदी बना लिया।

बंदी बने राजा और उनकी रानी राजवल्लभा दक्षिणा एक पार्थिव शिवलिंग बनाकर उसकी अराधना करने लगे। इधर देवताओं ने शिवजी से प्रार्थना की कि वे उनकी रक्षा करें तब शिवजी ने उनको आश्वासन दिया और राजा सुदक्षिण की तपस्या दिखाकर कहा कि शीघ्र ही उन्हे ही इस समस्या से मुक्ति मिलेगी।

जब राजा सुदक्षिण शिवपूजा मे लगे हुए थे तभी किसी ने जाकर राक्षस भीम से कह दिया कि राजा कोई तप कर रहा है। राक्षस इतना सुनते ही क्रोध मे भरकर नंगी तलवार लिए आया और राजा को कुछ अनुष्ठान करते देख क्रोध मे शिवलिंग पर वार करने चल दिया। किंतु राक्षस शिवलिंग तक पहुंच पाता इससे पहले ही भगवान शिव विकराल रूप मे प्रकट हुए और उन्होनें हुंकार से भीम का नाश कर दिया।

राक्षस के वध के पश्चात सभी जन सुखी हुए और तब देवताओं और ऋषियों ने प्रार्थना की कि हे भगवन आप इस निंदित भूमि मे वास करके इसे परमपवित्र करें और तभी से शिवजी ने वहांं निवास किया और उस शिवलिंग का नाम भीमशंकर हुआ।

Comments

Popular posts from this blog

पश्चिमी एवं भारतीय संस्कृति में अंतर । Difference between Western and Indian civilization. by the romanch

पश्चिम तथा भारतीय संस्कृति में अंतर पश्चिमी संस्कृति और भारतीय दोनों ही संस्कृतियों ने अच्छाई , बुराई , धर्म , ईश्वर , मोक्ष , मुक्ति , पाप-पुण्य , स्वर्ग आदि के विषय में सदियों से चर्चा की है। हज़ारों दृष्टिकोणों के बाद भी किसी ऐसे सटीक निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका है कि परम सत्य कैसा है। क्या है। वस्तुतः हम इतने समय के पश्चात भी भूमि पर ही हैं। ऐसे मे ये जानना आवश्यक है कि हमने दोनों शैलियों के मध्य क्या अंतर पाया ? ईश्वर और भगवान मे अंतर पश्चिमी सभ्यता के अनुसार ईश्वर ने अपना संदेश किसी व्यक्ति के द्वारा भेजा , उसी व्यक्ति ने लोगों को उसके विषय मे बताया। उसने ईश्वर के यश की कहानियां सुनाई और तमाम और बातें बताई किंतु उसमें ईश्वर के विषय मे अधिक पता न चला। भारतीय संस्कृति मे भगवान और ईश्वर दो अलग-अलग अर्थ वाले शब्द हैं। भगवान ऐसे महान व्यक्तियों को कहते हैं जिन्होनें हमारे जैसे ही जन्म लिया , इस धरती पर घूमे , जिनका जीवन हमारे जीवन से अधिक संघर्षपूर्ण रहा किंतु उन्होनें कभी हार नहीं मानी। वे आगे बढ़ते गए और उसके संकल्प , उसकी क्षमताओं को हमने सामान्य मनुष्य से बढ़कर मा

क्या हैं भगवान? (भगवद्गीता) what is God? (bhagwadgeeta)

 क्या हैं भगवान? (भगवद्गीता) what  is God? (Bhagwadgeeta) भगवान क्या हैं? संसार मे व्याप्त हर धर्म, हर सम्प्रदाय किसी ना किसी पराभौतिक शक्ति को मानता है। कोई स्वयं की आत्मा को सर्वोच्च स्थान देता है तो कोई ऊपर आसमान मे बैठे किसी परमात्मा को। कोई जीव को ही सब कुछ कहता तो कोई प्रकृति को सब कुछ कहता है। सनातन संस्कृति की खास बात यह है कि यह संसार मे उपस्थित प्रत्येक वस्तु को ईश्वर की एक रचना मानकर संतुष्ट नही होती बल्कि यह प्रत्येक वस्तु में ईश्वर का वास खोजती है और इसकी यही सोच इसे ईश्वर के लिए किसी स्थान पर जाने को प्रोत्साहित करना अनिवार्य नही समझती बल्कि प्रत्येक स्थान पर ईश्वर की उपस्थिति को सिखाकर व्यक्ति को ईश्वर के पास ले आती है। सनातन मे सब कुछ है। ऐसा कुछ नहीं जो इसमें नही है। इसने हर एक परिभाषा दी है स्वयं भगवान की भी। भगवद्गीता के सांंतवे अध्याय के चौथे श्लोक मे श्रीभगवान कहते हैं- भूमिरापोSनलो वायुः खं मनो बुद्धिरेव च। अहंकार इतीयं मे भिन्ना प्रकृतिरष्टया॥                                   - (अध्याय 7, श्लोक 4) पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, मन, बुद्धि तथा अहंकार- ये आठ प्रका

नीलिमा: एक वैश्या से प्रेम । सच्चे प्यार की लव स्टोरी A Short Love Story in hindi । kahani (love story), short story, love story in hindi । रोमांच । The Romanch

नीलिमा  (प्रेम कहानी) Neelima is a short love story from Romanch. Sad Story, Love Story, love story hindi, romantic love story, love, pain and romance.  नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है हर्ष वर्धन सिंह और आप आए हैं रोमांच मे आज फिर नीलिमा अरविंद के घर आयी थी। लगभग एक घंटे मे उसने काम खतम किया और पैसे लिये। लौटते वक़्त एक पल भर को रुकी और घूमी और फिर कुछ शिकायती अंदाज मे कहा ,” क्या साहब क्यों अपना पैसा हम लौंडियों पर बर्बाद करते हो ? कहा था आपसे पर आप हो कि मानते ही नही , बार-बार बुला लेते हो।“ अरविंद के सपाट चेहरे पर चिरपरिचित सी मुस्कान आ गयी। “आप बस मुस्कुराइये।“ उसका भाव और अधिक शिकायती था। “तुम अपने एक ग्राहक को क्यों कम करना चाहती हो।“ “अरे हम लोग उन लोगों की रातें रंगीन करते हैं जिनकी भूख उनके घर मे पूरी नही होती पर आप तो जवान हैं शादी काहे नही कर लेते ?” “अरे महारानी अब यहीं बातें करोगी या जाओगी अपने किसी और ग्राहक के पास।“ नीलिमा अपनी तेज चाल मे उसके कमरे से निकल गयी। आज उसने हरी चमकीली साड़ी पहनी थी , उसके होठों पर गहरी लाल लिपस्टिक और गालों पर गुलाबी