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लेपाक्षी का वीरभद्र मंदिर । रोमांच । Veerbhadra Temple of Lepakshi | Romanch | The Romanch |

क्या ऐसी इमारत का होना सम्भव है जो जमीन ही ना छूती हो?
वह बिना जमीन के टिकी कैसे रह सकती है?
क्या उसका कोई और रहस्य है?

लेपाक्षी का वीरभद्र मंदिर

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है हर्ष वर्धन सिंह और आप आए हैं रोमांच में।

दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं एक ऐसे मंदिर की जिसका एक रहस्य आधुनिक तकनीक को अभी भी मात दे रहा है।
भारत के अनोखे मंदिरोंं की कड़ी मे आज हम बात करेंगे आंध्रप्रदेश के अनंतपुर जिले के लेपाक्षी गांव मे स्थित भगवान वीरभद्र का एक ऐसा मंदिर जिसका मुख्य स्तम्भ जमीन नही छूता।

                             image source: google



बंगलोर से लगभग 120 किलोमीटर उत्तर की तरफ बसे गांव लेपाक्षी मे यह अनोखा मंदिर स्थित है जिसकी कलाकृति उच्चस्तरीय है। 

लेपाक्षी नाम की कहानी
स्थानीय कहानी के अनुसार जब लंका का राजा रावण माता सीता का अपहरण करके जा रहा था तब जटायु से उसका युद्ध हुआ था जिसमें रावण ने जटायु के पंख काट दिये थे। कहा जाता है कि पंख कटने से जटायु इसी जगह पर आकर गिरा था जहां पर भगवान राम आये और फिर उन्होने जटायु को लेपाक्षी(उठ जाओ पक्षी) कहा जिसके कारण इस गांव का नाम लेपाक्षी पड़ा।

मंदिर का निर्माण 
कुछ कथाओं के अनुसार इस मंदिर का सर्वप्रथम निर्माण महर्षि अगस्त्य ने किया था किंतु आधुनिक मंदिर का निर्माण विजयनगर राज्य के राज्यदरबार मे रहने वाले दो भाई विरन्ना और वीरुपन्ना ने कराया था। इस मंदिर की शिल्पकला भी विजयनगर शिल्प से मेल खाती है। दोनों भाइयों द्वारा निर्माण कराई गयी भगवान वीरभद्र जो कि भगवान शिव का ही क्रोध रूप हैं, अद्भुत है। वीरभद्र के अतिरिक्त भगवान राम और शिव जी के भी मंदिर बने हुए है तथा कुछ अन्य देवी देवता भी आसपास के क्षेत्र जिसे कूर्म शैल(कछुए के आकार के पहाड़) मे स्थित हैं।

रहस्यमयी स्तम्भ
                                       image source: google
यह मंदिर कुल 70 स्तम्भो पर बना हुआ है जिनमें से 69 स्तम्भ तो सामान्य हैं किंतु एक अकेला स्तम्भ है जो जमीन नहीं छूता है। इसके बारे मे ब्रिटिशकाल से ही प्रयास किये गये किंतु किसी को पता ना चल पाया कि एक स्तम्भ जमीन को क्यों नही छूता।
कुछ समय तक ऐसा माना गया कि यह मंदिर बाकी के 69 स्तम्भों पर टिका हुआ है किंतु इसका परीक्षण करने आये एक ब्रिटिश इंजीनियर ने जब एक हथौड़े से इस स्तम्भ पर वार किया तो कुछ दूरी पर बने स्तम्भों पर उसका प्रभाव पड़ा जिससे सिद्ध हो गया कि मंदिर का भार इस स्तम्भ पर भी है किंतु फिर भी यह स्तम्भ टिका कैसे है।

आधुनिक विज्ञान के पास इस अनोखी कला का कोई सटीक जबाब नही है किंतु फिर भी अलग अलग विशेषज्ञ अपनी अपनी राय देते हैं किंतु संतोषजनक उत्तर नही प्राप्त होता है।

इसके अतिरिक्त यहां पर बनी विशालकाय नंदी बैल की मूर्ति पर्यटकों के लिये विशेष आकर्षण का केंद्र है। लगभग 27 फुट लंबी और 15 फुट चौड़ी इस विशालकाय मूर्ति का निर्माण जिस कुशलता से किया गया है वह बड़े-बड़े शिल्पियों को भी हतप्रभ कर देती है।

इन अनोखे मंदिरों की रचना देखकर एक बात तो तय है कि हमारा देश भारत जिस स्वर्णिम अतीत को पीछे छोड़ आया है उसमें हमने अनंत गुणों व कलाओं को भुला दिया है। हम आधुनिक तो हो गये हैं किंतु हमने अपना बहुत कुछ खो दिया है। जो भी हो हमारे पास अभी भी गर्व करने के लिये ये अनोखे मंदिर और प्राकृतिक सम्पदाएं हैं जिनकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है ताकि आने वाली पीढ़ियां भी जान सकें कि हम कितने सौभाग्यशाली हैं जो इस भारतवर्ष मे जन्मे हैं।

दोस्तों आपको हमारा यह आर्टिकल कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताइये। मिलते हैं अगले आर्टिकल में तब तक के लिये नमस्कार।

Comments

  1. This is the beauty of our great indian culture. You write very well Sir

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  2. Hamare desh me aise na jane kitne mandir hai jaha pe kya kya hai. Science bhi abhi tak nhi bta paya hai un sbke baare me

    ReplyDelete

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