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कालभैरव मंदिर: जहां मदिरा से होती है पूजा

आपने बहुत से मंदिरों मे नारियल, अगरबत्ती, धूपबत्ती, फूल-मालाएं तथा पूजा की अन्य चीजें तो चढ़ाई होंगी लेकिन क्या आपने कभी किसी मंदिर मे मदिरा चढ़ाया है?

कालभैरव मंदिर, उज्जैन

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है हर्ष वर्धन सिंह और आप आए हैं रोमांच की दुनिया मे।
                     image source: google

दोस्तों मध्यप्रदेश के उज्जैन मे स्थित काल भैरव मंदिर(भगवान शिव का क्रोध स्वरूप) अपनी एक अनोखी परंपरा के लिये प्रचलित है। जहां हिंदू धर्म मे मदिरा(शराब) का उपयोग वर्जित माना जाता है, पूजा पाठ करने वालों के लिये इसका उपयोग महापाप माना जाता है वहीं इस मंदिर मे स्वयं बाबा भैरव को मदिरा चढ़ाई भी जाती है और वे उसे ग्रहण भी करते हैं।

प्रतिदिन की पूजा मे उपयोग 

कालभैरव की प्रतिदिन पूजा मे पुजारी उन्हे मदिरा चढ़ाता है। मदिरा को किसी प्लेट अथवा कटोरे मे भरकर भगवान के मुंह पर लगा दिया जाता है और धीरे-धीरे कटोरे से मदिरा जाने लगती है। हर बार कटोरे मे कुछ मदिरा बच जाती है जिसे प्रसाद के रूप मे बांट दिया जाता है।

कोई भी चढ़ा सकता है मदिरा
ना केवल पुजारी बल्कि भक्त लोग भी मदिरा चढ़ा सकते हैं। मंदिर के बाहर जो दुकानें पूजा की सामग्री उपलब्ध कराती हैं वे पूजा की अन्य चीजों के साथ 250 मिली मदिरा भी देते हैं।

किसी ब्रांड विशेष से नही है मतलब
वैसे तो यहां किसी ब्रांड विशेष की मांग नही है, किसी भी ब्रांंड की शराब चढ़ाई जा सकती है किंतु फिर भी सर्वाधिक यहां पर देसी शराब को चढ़ाया जाता है जिसे स्वयं राज्य सरकार उपलब्ध कराती है।

तांत्रिक पूजा मे होता है उपयोग
हिंदू धर्म के किसी भी देव को शराब नही चढ़ाई जा सकती है किंतु कालभैरव को चढ़ाई जाती है इसका कारण यह माना जाता है कि कालभैरव तंत्र-मंत्र से जुड़े हुए हैं और तांत्रिक पूजा मे मांस-मदिरा आदि चीजों का उपयोग किया जाता है किंतु इस मंदिर मे यह परम्परा कब से चली आ रही है इसका सही आकलन नही किया जा सका है।

रहस्य है मदिरा का गायब होना 
इस मंदिर मे इतनी अधिक मदिरा चढ़ाई जाती है तथा इतने वर्षों से यह परम्परा निरंतर चली आ रही है किंतु अभी तक यह ज्ञात नही है कि यह मदिरा जाती कहां है। यह इस मंदिर का एक रहस्य है।

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