Skip to main content

किस महीने मे होते हैं कौन से सूर्य (surya ke name monthwise) name of sun

किस महीने मे होते हैं कौन से सूर्य

ब्रह्मपुराण मे वर्णित एक कथा के अनुसार एक बार ऋषियों ने भगवान ब्रह्मा से पूछा कि हे देव जो सूर्यदेव समस्त लोकों को जीवन प्रदान करते हैं, जो प्रकाश देते हैं, ऊष्मा देते हैं उनके बारे मे हमें बताइए। ब्रह्मा जी ने इस प्रश्न पर ऋषियों को भगवान सूर्य के विषय मे अनेकों बातें बताई और इसी समय उन्होने भगवान सूर्य के अनेकों रूपों के बारे मे बताया जिन्हे हम आज जानेंगे।

यहां सूर्य के महीनों के अनुसार नाम उनकी विशिष्टता के साथ दिए जा रहे हैं-

1. चैत्र मास- चैत्र मास के सूर्य का नाम विष्णु है जो मानवता के शत्रुओं का विनाश करने के लिए अवतार लेते हैं।

2. वैसाख मास- वैसाख के सूर्य का नाम अर्यमा है जो वायु मे रहकर देवताओं को आनंद देता है।

3. ज्येष्ठ मास- ज्येष्ठ मे विवस्वान आते हैं जो अग्नि मे वास करके भोजन पचाते हैं।

4. आषाढ़ मास- आषाढ़ के सूर्य अंशुमान हैं जो वायु रूप मे प्रजा को जीवित रखते हैं।

5. श्रावण मास- इस माह का सूर्य पर्जन्य है जो बादलों मे रहकर अपनी किरणों से वर्षा कराता है।

6. भाद्रपद मास- इस माह मे सूर्य वरुण के रूप मे जल मे रहकर प्रजा का पोषण करते हैं।

7. अश्विन मास- अश्विन के सूर्य को इंद्र कहते हैं जो देवताओं के मध्य उनके राजा के रूप मे रहते हैं तथा देवशत्रुओं का दमन करते हैं।

8. कार्तिक मास- इस माह सूर्य का रूप धाता प्रजापति के रूप मे समस्त प्रजा की सृष्टि तथा पालन करता है।

9. अगहन मास- अगहन का सूर्य मित्र है जो चंद्र नदी के तट पर तपस्या करता है।

10. पौष मास- पौष का पूषा रूप अन्न के रूप मे प्रजा का पोषण करता है।

11. माघ मास- माघ का सूर्य भग है जो ऐश्वर्य तथा देहधारियोंं के भीतर रहता है।

12. फाल्गुन मास- फाल्गुन का सूर्य त्वष्टा सम्पूर्ण वनस्पतियों तथा औषधियों मे रहता है।


Comments

Popular posts from this blog

केदारनाथ शिवलिंग की कथा(Story of Kedarnath Shivlingam) Mythology

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले मे हिमालय की गोद मे स्थित केदारनाथ धाम पांचवा ज्योतिर्लिंग तथा छोटा चार धाम मे से एक धाम भी है। सभी ज्योतिर्लिंगों की कथा शिवपुराण की कोटिरुद्रसंहिता से ली गई है। केदारनाथ शिवलिंग की कथा भगवान शिव के पांचवे ज्योतिर्लिंग का नाम केदारनाथ है जिसकी पौराणिक कथा दी जा रही है। भगवान विष्णु के अवतार नर और नारायण बदरिकाधाम(बद्रीनाथ) मे रहकर तपस्या किया करते थे। एक बार उन्होने एक पार्थिवशिवलिंग बनाया और उसकी अराधना करने लगे। उन्होने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे शिवलिंग मे विराजकर उनकी प्रार्थना स्वीकार करें।  उनकी प्रार्थना पर भगवान शिव उस केदारतीर्थ मे प्रकट हुए और वहीं स्थित हो गए। भगवान के इस स्वरूप का नाम केदारनाथ हुआ।

पश्चिमी एवं भारतीय संस्कृति में अंतर । Difference between Western and Indian civilization. by the romanch

पश्चिम तथा भारतीय संस्कृति में अंतर पश्चिमी संस्कृति और भारतीय दोनों ही संस्कृतियों ने अच्छाई , बुराई , धर्म , ईश्वर , मोक्ष , मुक्ति , पाप-पुण्य , स्वर्ग आदि के विषय में सदियों से चर्चा की है। हज़ारों दृष्टिकोणों के बाद भी किसी ऐसे सटीक निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका है कि परम सत्य कैसा है। क्या है। वस्तुतः हम इतने समय के पश्चात भी भूमि पर ही हैं। ऐसे मे ये जानना आवश्यक है कि हमने दोनों शैलियों के मध्य क्या अंतर पाया ? ईश्वर और भगवान मे अंतर पश्चिमी सभ्यता के अनुसार ईश्वर ने अपना संदेश किसी व्यक्ति के द्वारा भेजा , उसी व्यक्ति ने लोगों को उसके विषय मे बताया। उसने ईश्वर के यश की कहानियां सुनाई और तमाम और बातें बताई किंतु उसमें ईश्वर के विषय मे अधिक पता न चला। भारतीय संस्कृति मे भगवान और ईश्वर दो अलग-अलग अर्थ वाले शब्द हैं। भगवान ऐसे महान व्यक्तियों को कहते हैं जिन्होनें हमारे जैसे ही जन्म लिया , इस धरती पर घूमे , जिनका जीवन हमारे जीवन से अधिक संघर्षपूर्ण रहा किंतु उन्होनें कभी हार नहीं मानी। वे आगे बढ़ते गए और उसके संकल्प , उसकी क्षमताओं को हमने सामान्य मनुष्य से बढ़कर मा...

राखी: भाई बहन का प्रेम । रोमांच । rakhi | love between brother and sister | The Romanch |

राखी पिछले चार दिन से सीमा उदास थी। हो भी क्यों न , राखी जो आ रही थी। हर बार उसके भैया उसके घर आते थे। दस साल के बच्चे की मां अपने भैया के सामने बच्ची हो जाती थी। प्रेम से राखी बांधती थी। जबरदस्ती मिठाई खिलाती थी और रुपए के लिए जिद करती थी। शादी के इतने सालों के बाद जब दूसरों की अपेक्षाओं मे वो कुशल गृहिणी , गम्भीर स्त्री , परिपक्व मां थी , वहीं अपने भैया के लिए वह अब भी लाडो थी , गुड़िया थी जिनके सामने वह एक साथ हंस भी सकती थी , रो भी सकती थी और गुस्सा भी हो सकती थी। इतने सालों से जिस भाई से इतना प्यार , इतना दुलार करती थी वह इस साल नहीं आ सकता था यह सोचकर वह छुप-छुप कर रोए जा रही थी। कैसे आता उसका भाई , वह तो आठ महीने पहले इस संसार को छोड़ कर ही चला गया है। महीनों तक वह रोई , बीमार भी हो गई और फिर ठीक होकर घर आ गई। रोना तो बंद हो गया था पर भैया की सूरत आंखो से न गई थी , उनका दुलार न भूल पायी थी। रह-रह कर वो याद आ ही जाते थें लेकिन धीरे-धीरे जिंदगी सामान्य हो गई। रोना बंद हुआ पर चार दिन पहले जब बाजार मे राखियों की दूकान देखी तो फिर से वही चालू हो गया। गोलू ने तो पूछा ...