Skip to main content

त्र्यम्बकेश्वर शिवलिंग की कथा (Story of Trimbakeshwar Shivlingam) Mythology

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग


दक्षिण गंगा गोदावरी के उद्गम स्थल पर नासिक मे स्थापित भगवान शिव का आंंठवा ज्योतिर्लिंग त्र्यम्बकेश्वर है।

सभी ज्योतिर्लिंगों की कथा शिवपुराण की कोटिरुद्रसंहिता से ली गई है।

त्र्यम्बकेश्वर शिवलिंग की कथा

बहुत समय पहले की बात है जब एक बार पृथ्वी पर भीषण अनावृष्टि हुई। वर्षों तक जल के बिना रहने से धरती सूख गई। तब महर्षि गौतम ने वरुण देव की तपस्या करके एक दिव्य कुंड प्राप्त किया जिसका जल कभी समाप्त नही होता था। कुंड की चर्चा फैली तो अन्य जगहों के ऋषि-मुनि अपने परिवार सहित आकर वहीं बस गए। पशु-पक्षी, जीव-जंतु आकर बसने लगे। लोगों ने आस-पास खेती भी शुरू हो गई।

महर्षि गौतम और उनकी पत्नी परमपवित्र देवी अहिल्या कभी किसी को भी जल के लिए मना नहीं करते थे किंतु तब भी कुछ अन्य ऋषियों की पत्नियां रुष्ट हो गईं और उन सभी अपने-अपने स्वामियों से गौतम ऋषि को दंड देने की बात कही। 

सभी ऋषि अपनी-अपनी पत्नियों के कहने मे आकर भगवान गणेश की अराधना करने लगे और उन्हे प्रसन्न करने मे सफल हुए। उन सभी ने भगवान से गौतम ऋषि को दंड देने की बात कही जिस पर गणेश जी ने उन्हे बहुत समझाया कि ऐसा करना सही नही है किंतु ऋषिगण नही माने। इस पर गणेश जी ने कहा कि वे गौतम ऋषि के साथ छल अवश्य करेंगे किंतु वह अधिक समय तक नहीं रहेगा।

गणेश जी ने एक अत्यंत दुर्बल और बूढ़ी गाय का रूप धरकर महर्षि गौतम के धान के खेत मे प्रवेश किया और फसल खाने व नष्ट करने लगे। दयालु महर्षि ऐसा देख एक अत्यंत कोमल पौधे की पतली छड़ी से गाय को हटाने लगे किंतु जैसे ही छड़ी ने उस गाय को छुआ, मायारूपी गाय उसी छड़ गिर गयी और मर गई। गौतम ऋषि पर गौहत्या का पाप लगा और वे ऋषियों के बताए मार्ग के अनुसार प्रायश्चित, तप करने चल दिए।

अत्यंत कठिन तप करने के पश्चात महर्षि गौतम और सती अहिल्या को देवाधिदेव महादेव जी ने माता पार्वती और गणों के साथ दर्शन दिया। प्रसन्न देवेश्वर ने महर्षि से वर मांगने को कहा और महर्षि ने वरदान मे स्वयं को पवित्र करने हेतु गंगा प्राप्त करने की इच्छा प्रकट की।

गंगा को प्रकट करके महादेव जी ने उसे वापस ना लौटकर वैवस्वत मनु के अट्ठाइसवें कलियुग तक रहने का आदेश दिया। गंगा ने तब देवाधिदेव से भी यहां विराजने का निवेदन किया और तब दोनों ने यहां रहना निश्चित किया।

उस समय कई देवता भी आ गए जिन्होने गंगा और गिरीश महादेव जी की अराधना की जिस पर गंगा ने उन सभी से भी आने को कहा। देवताओं ने गंगा को आश्वासन दिया कि हर बार जब देवगुरू बृहस्पति सिंह राशि मे स्थित होंंगे, सभी देव गण वहां आएंगे। 

तभी से वह गंगा गौतमी(गोदावरी) के नाम से जानी गई और भगवान का वह रूप त्र्यम्बकेश्वर के नाम से जाना गया।  

Comments

Popular posts from this blog

केदारनाथ शिवलिंग की कथा(Story of Kedarnath Shivlingam) Mythology

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले मे हिमालय की गोद मे स्थित केदारनाथ धाम पांचवा ज्योतिर्लिंग तथा छोटा चार धाम मे से एक धाम भी है। सभी ज्योतिर्लिंगों की कथा शिवपुराण की कोटिरुद्रसंहिता से ली गई है। केदारनाथ शिवलिंग की कथा भगवान शिव के पांचवे ज्योतिर्लिंग का नाम केदारनाथ है जिसकी पौराणिक कथा दी जा रही है। भगवान विष्णु के अवतार नर और नारायण बदरिकाधाम(बद्रीनाथ) मे रहकर तपस्या किया करते थे। एक बार उन्होने एक पार्थिवशिवलिंग बनाया और उसकी अराधना करने लगे। उन्होने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे शिवलिंग मे विराजकर उनकी प्रार्थना स्वीकार करें।  उनकी प्रार्थना पर भगवान शिव उस केदारतीर्थ मे प्रकट हुए और वहीं स्थित हो गए। भगवान के इस स्वरूप का नाम केदारनाथ हुआ।

पश्चिमी एवं भारतीय संस्कृति में अंतर । Difference between Western and Indian civilization. by the romanch

पश्चिम तथा भारतीय संस्कृति में अंतर पश्चिमी संस्कृति और भारतीय दोनों ही संस्कृतियों ने अच्छाई , बुराई , धर्म , ईश्वर , मोक्ष , मुक्ति , पाप-पुण्य , स्वर्ग आदि के विषय में सदियों से चर्चा की है। हज़ारों दृष्टिकोणों के बाद भी किसी ऐसे सटीक निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका है कि परम सत्य कैसा है। क्या है। वस्तुतः हम इतने समय के पश्चात भी भूमि पर ही हैं। ऐसे मे ये जानना आवश्यक है कि हमने दोनों शैलियों के मध्य क्या अंतर पाया ? ईश्वर और भगवान मे अंतर पश्चिमी सभ्यता के अनुसार ईश्वर ने अपना संदेश किसी व्यक्ति के द्वारा भेजा , उसी व्यक्ति ने लोगों को उसके विषय मे बताया। उसने ईश्वर के यश की कहानियां सुनाई और तमाम और बातें बताई किंतु उसमें ईश्वर के विषय मे अधिक पता न चला। भारतीय संस्कृति मे भगवान और ईश्वर दो अलग-अलग अर्थ वाले शब्द हैं। भगवान ऐसे महान व्यक्तियों को कहते हैं जिन्होनें हमारे जैसे ही जन्म लिया , इस धरती पर घूमे , जिनका जीवन हमारे जीवन से अधिक संघर्षपूर्ण रहा किंतु उन्होनें कभी हार नहीं मानी। वे आगे बढ़ते गए और उसके संकल्प , उसकी क्षमताओं को हमने सामान्य मनुष्य से बढ़कर मा...

राखी: भाई बहन का प्रेम । रोमांच । rakhi | love between brother and sister | The Romanch |

राखी पिछले चार दिन से सीमा उदास थी। हो भी क्यों न , राखी जो आ रही थी। हर बार उसके भैया उसके घर आते थे। दस साल के बच्चे की मां अपने भैया के सामने बच्ची हो जाती थी। प्रेम से राखी बांधती थी। जबरदस्ती मिठाई खिलाती थी और रुपए के लिए जिद करती थी। शादी के इतने सालों के बाद जब दूसरों की अपेक्षाओं मे वो कुशल गृहिणी , गम्भीर स्त्री , परिपक्व मां थी , वहीं अपने भैया के लिए वह अब भी लाडो थी , गुड़िया थी जिनके सामने वह एक साथ हंस भी सकती थी , रो भी सकती थी और गुस्सा भी हो सकती थी। इतने सालों से जिस भाई से इतना प्यार , इतना दुलार करती थी वह इस साल नहीं आ सकता था यह सोचकर वह छुप-छुप कर रोए जा रही थी। कैसे आता उसका भाई , वह तो आठ महीने पहले इस संसार को छोड़ कर ही चला गया है। महीनों तक वह रोई , बीमार भी हो गई और फिर ठीक होकर घर आ गई। रोना तो बंद हो गया था पर भैया की सूरत आंखो से न गई थी , उनका दुलार न भूल पायी थी। रह-रह कर वो याद आ ही जाते थें लेकिन धीरे-धीरे जिंदगी सामान्य हो गई। रोना बंद हुआ पर चार दिन पहले जब बाजार मे राखियों की दूकान देखी तो फिर से वही चालू हो गया। गोलू ने तो पूछा ...