रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
भारत के दक्षिणी छोर पर समुद्र किनारे बसा श्रीरामनाथस्वामी ज्योतिर्लिंग सभी ज्योतिर्लिंगों मे एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
सभी ज्योतिर्लिंगों की कथा शिवपुराण की कोटिरुद्रसंहिता से ली गई है।
रामेश्वरम शिवलिंग की कथा
लंका पर आक्रमण करने हेतु जब भगवान श्रीराम समुद्र पर पुल बांधने का कार्य करने जा रहे थे तब उन्होने भगवान शिव के पार्थिव लिंग की स्थापना करके अराधना की।
श्रीराम ने कहा कि हे महेश्वर रावण आपका महान भक्त है इसलिए मुझे उसको परास्त करने के लिए आपकी सहायता की आवश्यकता है। इस कठिन कार्य को करने मे मेरी सहायता करें। ऐसा कहकर भगवान राम ने शिव जी की पूजा अर्चना की जिससे प्रसन्न होकर भगवान नीलकंठ वहां प्रकट हुए और उन्होनें कहा कि हे राम! महराज! तुम्हारी जय हो।
तब भगवान महादेव उस लिंग मे सदैव के लिए प्रवेश कर गए। जिसे श्री रामनाथस्वामी ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है।
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