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मल्लिकार्जुन शिवलिंग की कथा (story of Mallikarjun Shivlingam) Mythology

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग


आंध्रप्रदेश मे कृष्णा नदी के तट पर शैल पर्वत(श्रीशैलम) पर स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों मे दूसरे स्थान पर आता है।


सभी ज्योतिर्लिंगों की कथा शिवपुराण की कोटिरुद्रसंहिता से ली गई है।

मल्लिकार्जुन शिवलिंग की कथा

भगवान शिव के द्वितीय ज्योतिर्लिंग का नाम मल्लिकार्जुन है। मल्लिका देवी पार्वती का एक नाम है तथा अर्जुन भगवान शिव का एक पर्याय है। इस महान धार्मिक क्षेत्र की एक पौराणिक कथा है।

एक समय की बात है जब तारकासुरविनाशक कुमार कार्तिकेय कई लोकों का भ्रमण करके कैलाश पहुंचे तब उन्होने भगवान गणेश के विवाह की बात सुनी और वहींं से वे रुष्ट होकर क्रोंच पर्वत पर चले गए। 

भगवान कार्तिकेय के यूं कैलाश से चले जाने पर भगवान शिव और देवी पार्वती उन्हे मनाने के लिए गए किंतु उनके मनाने पर भी कुमार नहीं माने और बारह कोस और पीछे चले गए। उनको ना लौटता देख भगवान शिव और देवी पार्वती वहीं लिंग रूप मे स्थापित हो गए।

प्रत्येक अमावस्या को भगवान शिव वहां अपने पुत्र को देखने जाते हैं और प्रत्येक पूर्णमासी को देवी पार्वती वहां जाती हैं। इस लिंग मे महादेव और देवी दोनों ही अपने ज्योतिर्मय रूप मे विद्यमान हैं।

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