राम रामेति रामेति रमे श्लोक
भगवान शंकर और भगवान नारायण दोनों ही एक दूसरे को सदैव पूजते रहते हैं और इसी तरह शैव और वैष्णव पंथ एक दूसरे के लिए सदैव पूरक रहे हैं।
एक समय भगवान शंकर ने माता पार्वती को विष्णु सहस्त्रनाम जप का सुझाव दिया। देवी आदिभवानी माता पार्वती ने उसी दिन से विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ प्रारम्भ कर दिया। महादेव इस बात से अत्यंत प्रसन्न रहने लगे।
एक दिन भगवान शिव ने माता को भोजन साथ करने का आमंत्रण दिया किंतु माता ने कहा कि उनको अभी विष्णु सहस्त्रनाम का जप करना है। इस पर देवाधिदेव बहुत प्रसन्न हुए किंतु उस समय उनको अत्यंत भूख लगी थी इसलिए उन्होने कहा-
पार्वती! तुम धन्य हो, पुण्यात्मा हो क्योंकि भगवान विष्णु मे तुम्हारी भक्ति है किंतु मै तो भगवान राम का नाम लेकर ही विष्णु सहस्त्रनाम का फल प्राप्त कर लेता हूं अतः तुम भी अभी भगवान राम का नाम लो।
तब भगवान शिव ने उन्हें राम मंत्र बताया-
राम रामेति रामेति रमे रामे मनो रमे। सहस्त्रनाम तततुल्यं राम नाम वरानने॥
तब देवी माता पार्वती ने इस मंत्र का जप किया और फिर माता ने देवाधिदेव के साथ भोजन किया।
भोजन करने के पश्चात माता पार्वती ने उत्सुकतापूर्वक भगवान शिव से भगवान राम के अन्य नामों के विषय मे पूछा। तब भगवान शिव ने भगवान राम के 108 नामों को बताया।
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