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द्वादशाक्षर मंत्र का महत्व (स्कंदपुराण)

 द्वादशाक्षर मंत्र का महत्व

ॐ नमोभगवते वासुदेवाय नमः॥

स्कंदपुराण के ब्रह्मखंड मे वर्णित एक कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से उनकी साधना के विषय मे प्रश्न किया जिसपर महादेव जी ने उन्हें द्वादशाक्षर मंत्र के विषय मे बताया। 

महादेव जी ने माता पार्वती से बताया कि देवि भगवान विष्णु का ध्यान करने हेतु, उनकी भक्ति के लिए द्वादशाक्षर मंत्र का जप करना चाहिए। वैसे तो यह मंत्र किसी भी क्षण अथवा मास मे किसी भी स्थान पर जपा जा सकता है किंतु चतुर्मास मे इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। 

इस मंत्र को कोई भी मनुष्य स्वतंत्र रूप से जप सकता है किंतु इसके लिए एक छोटा सा नियम भी है जिसे वहीं पर बताया गया है।

नियम यह बताया गया है कि स्त्रियों तथा शूद्रों को इस मंत्र का जाप करते समय बिना प्रणव मंत्र के ही जप करना चाहिए अर्थात उनका जप मंत्र बनेगा।
नमोभगवते वासुदेवाय नमः॥
 
इसके अतिरिक्त सभी ॐ के साथ इस मंत्र का जप करें।

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